नयन बन्द कर ढूँढते, मन भीतर के राज़
कर्म बुद्धि संयोग से पूरे होते काज।1।
नयनों में ममता लिए, अरु सींगों में ठाट।
अब जब दुग्धा नहि रही, मालिक बेचे हाट।2।
चंचल नयन निहारते, तुझको चारों ओर
बिन तेरे कैसे भला, अंशुमान हो भोर।3।
अधरों की मुस्कान तुम, तुम नैनन का नीर
तुम से ये दुनिया भली, तुम बिन जीवन पीर।4।
सो न सके चातक नयन, देखें पियु की राह
उनके उत्तर के बिना, दुख की नहि है थाह।5।
मन मस्तिष्क विराजते, नयनों के दो कोर
एक निहारे भाव को, दूजा अन्तस् छोर।6।
नयनों ने प्रिय से कहा, तुम मत जाना दूर
तुम बिन जीवन शून्य है, कैसे होगा पूर।7।
नयनों के अंदर बसे, मेरे राम रहीम
तृप्त हृदय है नाचता, खुशी लहीम शहीम।8।
पिया गए परदेस जब, मन हो गया अधीर
नयन मीन जैसे हुए, नित्य बहाते पीर।9।
नीरज नयन पुकारते, पियु पियु से दो बोल
हृदय प्रतीक्षारत खड़ा, निरत किवाड़े खोल।10।
पिया मिलन कि आज में , नयन हुए बेचैन
ढूंढें उनको लगन से, क्या दिन अरु क्या रैन।11।
नयन पिया के सुमन ते , पुतरी ज्यों मकरंद,
मन भंवरा सा डोलता, गा गा लिखता छंद।12।
नयनन में निस दिन बसें, मेरे पिया फकीर,
उनसे मिल कर मिल गयी, कोसों की जागीर।13।
पिया दरस को भटकते, नयन मेरे दिसि चार
ढूँढा उनको हर जगह, तन मन और विचार।14।
बोले नयन विचार कर, रहना पलकन बीच
तू भोली भाली सखी, जग बैठे सब नीच।15।
खींच रहे हैं चित्र अब , नयन पटों को खोल
तू मन अंतस बैठ कर , क्या खींचे ये बोल।16।
मन के नयन निहारते, मन के मन की बात
प्रेम न जाने आयु अरु ,प्रेम न समझे जात।17।
मात पिता के नयन से ,सखा गिरे ना नीर,
वे ही है इस धरा पर, जो दें दिल को चीर।18।
प्रेमी जब देखे लगे , नयना उसे कटार,
फिर भी डूबन चाह है, कहते इसको प्यार।19।
भगवा ओढ़े आ गया ,जब सीमा से वीर,
नयन हुए बेमान अरु, रोक सके ना नीर।20।
नभ जैसा विस्तार है , सागर सी गहराई,
ऐसे नयनों में छिपी, अक्सर पीर पराई।21।
नयनन में श्रृंगार ले, आई दुल्हन द्वार,
पीयु की लगन लगाए,अरु दिल आई हार।22।
पावस से नयना बहें, वृष्टि करें चहुँ ओर
रोवत रोवत विरह में, हो गयी निशि से भोर।23।
भलमनसाहत के लिए, नयनन का दे दान,
सब दानन से बड़ा है, नेत्र दान अभियान।24।
नयन विराजे श्याम अरु, हृदय विराजे राम,
हिन्दू मानस पटल के, ये ही तीरथ धाम।25।
थके थके से हैं नयन, रुकी रुकी सी साँस,
पी बिन जीवन उस तरह, ज्यों अटकी हो फांस।26।
कमलनयन भी मौन हैं, अरु जानकी उदास,
विरहन बनकर के मिला, है असली वनवास।27।
कालिंदी से नयन हैं, काले और विषाक्त,
श्याम नहीं जब सामने, मन व्याकुल आसक्त।28।
नयन हुए स्तब्ध तब , जब देखे चितचोर,
बरखा अंखियन से बहे, मन नाचे ज्यों मोर। 29।
नियत समय सोए नयन, नियत समय हो भोर,
ऐसी दिनचर्या से फिर, खत्म व्याधि के शोर।30।